शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का महत्वपूर्ण योगदान है, और इसका पाचन तंत्र को सुधारने में भी विशेष योगदान है। प्राकृतिक रूप से सही खानपान और योगाभ्यास करने से हम अपने पाचन को सुधार सकते हैं, जिससे हमारे शरीर को अधिक ऊर्जा मिलती है, खाने के तत्वों का अच्छे से पोषण होता है और शारीरिक समस्याएं कम होती हैं।
योग असनों में कुछ विशेष आसन हैं जो पाचन सिस्टम को सुधारने में मदद करते हैं। ये आसन खाने के प्रक्रिया को बेहतर बनाने में मदद करते हैं और पेट में होने वाली समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं। कुछ इस प्रकार के आसनों को नियमित रूप से अभ्यास करने से आप अपने पाचन को सुधार सकते हैं और अधिक उत्साहपूर्वक और ताजगी से दिन को बिता सकते हैं।
पश्चिमोत्तानासन (Seated Forward Bend):
यह आसन पाचन सिस्टम को सुधारने में मदद करता है और पेट से जुड़ी समस्याओं को कम करने में सहायक होता है। इसके लाभ, करने का तरीका, और सावधानियां निम्नलिखित हैं:
योगासन के लाभ पाचन के लिए:
- पश्चिमोत्तानासन पेट की मांसपेशियों को खींचने से भरी होता है, जिससे पेट के अंदर होने वाली समस्याएं ठीक होती हैं।
- यह आसन पेट में जमी हुई गैस और एसिड को कम करने में मदद करता है, जिससे पाचन क्रिया सुधारी जा सकती है।
- इस आसन को करने से पाचक अग्नि में सुधार होता है और अच्छे खानपान के लिए प्रोत्साहित करता है।
- यह आसन मस्तिष्क को शांत करता है और मन को स्थिर बनाने में मदद करता है, जिससे पाचन समस्याएं ज्यादा होने की संभावना कम होती है।
कैसे करें:
सीधे पैरों के साथ फर्श पर बैठें। पैरों की उंगलियों को टेढ़ा न करें और अपने हीलों को आगे की ओर दबाएं।
गहरी सांस लेकर धीरे-धीरे सीधे बैठने का प्रयास करें, अपनी कमर को लंबा बनाएं।
सांस छोड़ते हुए और हिप्स पर ध्यान केंद्रित करते हुए आगे की ओर झुकें, अपने पैरों को हाथों से छूआएं। जितना हो सके, अपने सर को घुटनों से जोड़ें।
धीरे-धीरे सांस लेते हुए आगे की ओर और गहराई से झुकें। इस आसन में पूरे शरीर को धीरे-धीरे आगे की ओर खींचने का प्रयास करें।
1-3 मिनट तक इस पोज़ में ठहरें, सांस लेते हुए ध्यान रखें।
आसान से बाहर आने के लिए, हाथों को पैरों से धीरे से छोड़ें और सांस लेते हुए सीधे बैठें।
सावधानियां और सुझाव:
- पश्चिमोत्तानासन को करते समय शरीर को जल्दी से झुकाने की कोशिश न करें। स्लो और स्थिर आसन करें।
- पीठ में किसी भी तरह की समस्या होने पर इस आसन को न करें और डॉक्टर से परामर्श लें।
- प्रेग्नेंट महिलाओं और पीठ में समस्या होने वाले व्यक्ति को भी इस आसन से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
- कोई भी आसन करते समय अपने सांस को संयमित रखें और आसन को ठीक से करने के लिए धैर्य बनाएं रखें।
अर्ध पवनमुक्तासन (Half Wind- Pose) :
पाचन को सुधारता है: अर्ध पवनमुक्तासन पेट के अंगों, जैसे कीड़ामार्ग, को प्रोत्साहित करके पाचन को सुधारने में मदद करता है और कब्ज और गैस संबंधी समस्याओं को दूर करता है।
ब्लोटिंग को कम करता है: यह आसन ब्लोटिंग और गैस को कम करने में प्रभावी है, जिससे पाचन तंत्र में फंसी हुई गैस छूटती है।
पेट के मांसपेशियों को मजबूत करता है: अर्ध पवनमुक्तासन के नियमित अभ्यास से पेट के मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं, जिससे पेट का आकार सम्मत हो जाता है।
पवनमुक्तासन को करने का तरीका:
- पहले तो, आराम से पीठ पर लेटें और साँस लेने के बाद पैरो को जमीन पर सीधा रखें।
- अब दाएं घुटने को मोड़े, पैर को हिप्स के पास लाएं अब दोनों हाथों से पैर को घुटनों के पास पकड़े अब पैर को अपनी छाती की तरफ खींचे और उसे दबाए
- इस अवस्था में थोड़ी देर रहने के बाद पैर को धीरे-धीरे वापस अपनी पुरानी अवस्था में जाने दे और यही प्रक्रिया दूसरे पैर के साथ भी करें इस प्रक्रिया को कई बार दोहराएं,
- यह प्रक्रिया कुछ समय तक बार-बार दोहराएं, ध्यान रखें कि साँस के साथ यह आसन धीरे-धीरे और सहजता से किया जाना चाहिए।
सावधानियां और सुझाव:
यदि किसी को कमर में दर्द हो या हैमस्ट्रिंग कंधें महसूस होते हैं, तो आसन को करने से पहले एक फोल्डेड ब्लैंकेट या तकिया पर बैठकर इसे करें।
ध्यान रखें कि आपकी कमर टेढ़ी न हो, बल्कि रीढ़ को लंबा और सीधा रखें।
कुछ समय तक आसन को धीरे-धीरे करने से ज्यादा जरूरी है, सांस के साथ आसान में आनन्द लें।
भुजंगासन (Cobra Pose)
भुजंगासन, जिसे कोब्रा पोज़ भी कहा जाता है, एक प्रसिद्ध योग आसन है जो स्पाइन की लचीलापन को बढ़ाता है और बच्चों की तरह सर्प की तरह उभरता है। यह आसन पृथ्वी तत्व को स्थायी बनाता है और हृदय चक्र को खोलता है, जिससे साँस लेने की क्रिया सुव्यवस्थित होती है। नीचे दिए गए हैं भुजंगासन को करने का तरीका:
- पहले, योग मैट को फर्श पर बिछाएं और पेट के बल मैट पर लेट जाएं।
- दोनों हाथों को सिर के पास रखें और माथे को ज़मीन पर लगा दें।
- अपने दोनों पैरों को पीछे की ओर बढ़ा लें और उन्हें सीधा रखें, और दोनों पैरों के बीच में थोड़ी दूरी बना लें।
- अपने हाथों की हथेलियों को कंधों के बराबर में लाएं।
- लंबी गहरी सांस लेते हुए, पेट के ऊपर के शरीर को ऊपर उठाएं। सबसे पहले सिर फिर चेस्ट और आखिर में पेट को ऊपर उठाएं।
- सांस को अंदर की ओर खींचते हुए कुछ सेकंड रूकें।
- सांस को बाहर की ओर छोड़ते हुए धीरे-धीरे पहली वाली स्थिति में लाएं।
- इस आसन को 3 से 4 बार इसी तरह दोहराएं।
सावधानियां और सुझाव:
यदि किसी को कमर में दर्द हो तो भुजंगासन करने से पहले एक फोल्डेड ब्लैंकेट या तकिया पर बैठकर इसे करें।
शरीर को ज्यादा उच्च न उठाएं, सीधे उभरने का प्रयास करें।
शरीर को ताना हुआ रखें और पीठ को धीरे-धीरे उच्चतम स्थान तक उठाएं।
सांस छोड़ते हुए आसन को करते समय ध्यान रखें कि पृथ्वी तत्व और शरीर का सम्बन्ध संवेदनशील होना चाहिए।
यदि किसी को सीरियस कमर या गर्दन से संबंधित समस्या है तो, इस आसन को करने से पहले एक योग गुरु की मार्गदर्शन में करें।
त्रिकोणासन (Triangle Pose)
योग के एक महत्वपूर्ण आसनों में से एक है। इस आसन का नाम ‘त्रिकोण’ संस्कृत शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है ‘त्रिभुज’ यानी तीनों कोणों वाला। यह आसन तीन भिन्न-भिन्न किसी भी विकासित देश में योग प्रशिक्षण में सिखाया जाता है और योग के अनेक स्वास्थ्य लाभों का आनंद उठाने के लिए विकसित किया जाता है। इस आसन को करने से शरीर की सही संरचना बनती है और विभिन्न शारीरिक तंत्रों को सुधारा जा सकता है।
त्रिकोणासन करने की विधि:
- सबसे पहले योगा मैट पर खड़े हों और दोनों पैरों को थोड़ी दूरी पर रखें।
- अब बाएं पैर को बाईं ओर मुड़ाएं और दाएं पैर को दाहिनी ओर मुड़ाएं, जिससे आपकी कूल्हों के अनुसार त्रिभुज की तरह एक त्रिकोणाकार रचा जाएगा।
- अब दोनों हाथों को आसानी से सीधे करें और उच्च करें, जिससे आपकी बाएं हाथ का ही अंगूठा दाएं पैर की अंगुली से स्पर्श करेगा। यदि यह संभव नहीं है तो हाथ की अंगुली के पास जितना स्पर्श कर सकें। धीरे से इस स्थिति में पकड़ बनाए रखें।
- अब आपके दाएं हाथ को उच्च करें, जिससे आपका नेत्रक्षेत्र दाएं हाथ की दिशा में रहेगा। आपके शरीर का विभिन्न हिस्सों के साथ एक त्रिकोणाकार रचा होगा।
- इस स्थिति में, धीरे से सांस छोड़ें और स्पीन को सीधा रखें। सांस छोड़ते समय पेट से बाहर बल दें और साँस अंदर लेने पर पेट को अंदर खींचें।
- इस अवस्था में १०-२० सेकंड तक रहें और फिर समय तक धीरे से सांस छोड़ें और पूरी तरह से बाहर की ओर वापस आएं।
- दोनों हाथों को सीधा करें, पैरों की दिशा में मुड़ें, और फिर दाहिने पैर को बाईं ओर मुड़ाकर आराम से खड़े हो जाएं।
त्रिकोणासन के लाभ:
- त्रिकोणासन पूरे शरीर को खोलता है और मांसपेशियों को संचालित करता है।
- कूल्हों, कमर, और यूरोजेनिटल सिस्टम को सुधारता है।
- पाचन तंत्र को सक्रिय करता है और भोजन को पचाने में मदद करता है।
- रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाने से कमर और पीठ के दर्द को कम करता है।
- नेत्रों की दृष्टि को सुधारता है और आंखों को ताजगी देता है।
त्रिकोणासन की सावधानियां:
- कमर या गर्दन में दर्द होने पर इसे करने से पहले एक योग गुरु की मार्गदर्शन में करें।
- प्रेग्नेंट महिलाओं को त्रिकोणासन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना अच्छा रहेगा।
- सीरियल पिन, बैकपैक, और गर्दन में चोट या स्त्री रोग होने पर इस आसन को न करें।
- इस आसन को करते समय ध्यान रखें कि पूरे शरीर का वजन बराबरी में बट रहे, और किसी भी तरह की अधी भारी हवा लेने की कोशिश न करें।
मत्स्यासन (Fish Pose)
मत्स्यासन (Fish Pose) योग के एक प्रमुख आसनों में से एक है। इस आसन का नाम ‘मत्स्य’ संस्कृत शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है ‘मछली’। इस आसन में शरीर का स्थानांतरित होकर मछली की आकृति बनाई जाती है। यह आसन बारीकी से किया जाता है और योग के अनेक शारीरिक और मानसिक लाभों को प्रदान करता है। मत्स्यासन को करने से शरीर की पोषण शक्ति मजबूत होती है और शरीर के अनेक अंगों को आराम मिलता है।
मत्स्यासन करने की विधि:
- सबसे पहले योगा मैट पर सीधे लेट जाएं। पैर एक दूसरे से थोड़ी दूरी पर रखें।
- अब हाथों को अपने पीठ के नीचे रखें। अपने पैरों को बल लें और पूरी तरह से जमीन पर रखें।
- अब अपने कोहनियों को जमीन पर रखें और अपने हाथों को गले के पास से नीचे रखें। इससे आपकी छाती का भाग ऊपर उठेगा।
- धीरे से सांस लेते हुए अपने पूरे शरीर को धनुरासन के दिशा में उठाएं। अपने सिर को वापस झुकाएं और अपनी धड़ को जमीन से संपर्क करें। इस अवस्था में आपकी शरीर एक मछली की आकृति बन जाएगी।
- धीरे से सांस छोड़ें और पूर्ण तनाव में रहें। सांस छोड़ते समय अपने चेहरे के माध्यम से सास बाहर छोड़ें।
- ध्यान रखें कि आपकी कमर जमीन से संपर्की हो और पूरी तरह से धनुरासन के दिशा में उठी हो। धीरे से सांस छोड़ें और ध्यान लगाएं।
- आसन को 20-30 सेकंड तक भीड़ सकते हैं और फिर धीरे से सांस छोड़कर अपने शरीर को धनुरासन के दिशा में उतारें।
मत्स्यासन के लाभ:
- मत्स्यासन से कमर के दर्द में आराम होता है।
- यह आसन सांस और हृदय के लिए फायदेमंद होता है और चेहरे की त्वचा को निखारता है।
- मत्स्यासन अपच, सिरदर्द, और चक्कर जैसी समस्याओं को दूर करता है।
- यह आसन श्वसन प्रणाली को स्वस्थ बनाए रखता है और एलर्जी से राहत प्रदान करता है।
मत्स्यासन की सावधानियां:
- इस आसन को करने से पहले योग गुरु की मार्गदर्शन में करें, विशेष रूप से जो लोग पीठ दर्द, चक्कर, या गर्दन से जुड़ी समस्याएं रखते हैं।
- प्रेग्नेंट महिलाओं और हाई ब्लड प्रेशर वाले व्यक्तियों को इस आसन से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
- इस आसन को करते समय अपने शरीर को जल्दी न झुकाएं और धीरे से आसन में आएं।
- सांस छोड़ते समय ध्यान रखें कि आपकी धड़ जमीन से संपर्की हो।
- आसन को करते समय आपके कंधे और गर्दन के नीचे किसी भी तरह की दबाव की वजह से या आधी भारी हवा लेने की कोशिश करने से बचें।